और साथ ही प्रमाणिक पाठ और भावार्थ भी सुधी पाठकों के लिए यहाँ प्रस्तुत करें जिससे वे लाभान्वित हो सकें! और मित्रगण आपसे अनुरोध है कि एक बार दुबारा भी यहाँ लौट कर इस अद्भुत वर्षा-कविता की भावानुभूति जरूर कर लें! इस वर्ष वर्षा रानी तो जम के नहीं बरसी, मगर जाते जाते उनकी विदाई इस कविता से करके उन्हें अगले वर्ष झूम के बरसने की मनुहार भी आपके साथ कर देता हूँ-